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दो सप्ताह में 6 किलो वजन कम कैसे करें-How 6kg Weight Loss in Two Weeks

How 6kg Weight Loss in Two Weeks दो सप्ताह में 6 किलो वजन कम कैसे करें :- अब तक, हम अपने भोजन में स्वाद जोड़ने के लिए जीरा का उपयोग करते थे।  लेकिन क्या आप जानते हैं कि यह आपके पेट की चर्बी को काटने में भी मदद कर सकता है।   जीरा में कई ऐसे गुण होते हैं जो तेजी से वजन कम करने में आपकी मदद करते हैं और आपके शरीर को साफ करने में भी मदद करते हैं।  यहां तक ​​कि एक चुटकी जीरा भी आपको काफी वजन कम करने में मदद कर सकता है, लेकिन आपको इस पर विश्वास करने की कोशिश करनी होगी!   इस वीडियो में, हम आपके साथ एक जादुई पेय साझा करेंगे, जो जीरा के साथ बनाया गया है, जो आपको किसी भी अन्य पेय की तुलना में कम से कम 3 गुना तेजी से वजन कम करने में मदद कर सकता है।  हमें सोने से पहले इस ड्रिंक को तैयार करना है और रात भर रखना है।  फिर हमें अगली सुबह इसे खाली पेट पीना है।   हम एक गिलास ताजा पानी लेंगे।  यह पानी कमरे के तापमान पर है। अब हम इस पानी में एक बड़ा चम्मच जीरा भिगोएँगे।  जीरा हमारे मेटाबॉलिज्म रेट को बढ़ाता है जिससे कैलोरी बहुत तेजी से बर्न होती है।  यह न केवल वजन घटाने में मदद करता है
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एवोकेडो (Avocado in Hindi )

एवोकाडो (Avocado) एवोकेडो का विवरण (Avocados Description) भारतीय फल नाशपाती के समान दिखने वाला एवोकाडो (Avocado) मेक्सिकन फ्रूट है। मक्खन फल के नाम से प्रसिद्ध यह फल गुणों की खान है। प्राकृतिक तौर पर एवोकाडो में 20 तरह के विटामिन और मिनरल पाये जाते हैं जिसमे लगभग हर बीमारी का उपचार छिपा है। एवोकाडो को सलाद की तरह, फल की तरह या ब्रेड में बटर की तरह लगाकर भी खाया जा सकता है। इसका क्रीमी और बटरी गूदा मक्खन सा स्वाद देता है और मक्खन से कहीं अधिक लाभदायक होता है। इसके लाभ को देखते हुए भारत में उत्तराखंड में इसकी खेती की जा रही है। एवोकाडो में 14000 से भी अधिक फोटोलिक केमिकल होते हैं। इसका तेल औषधि बनाने के साथ साथ शैम्पू बनाने और सौन्दर्य प्रसाधन बनाने में प्रयोग होता है। एवोकाडो का पेड़ ठंड के प्रति संवेदनशील होता है जिससे इसके फूल दिसंबर से मार्च के बीच लगते हैं। इसमें मौजूद फ़ॉलिक एसिड, प्रोटीन और विटामिन बी6 महिलाओं में फर्टिलिटी बढ़ाने में कारगर है। एवोकाडो के फायदे (Benefits of Avocado in Hindi) 1. हृदय के लिए (Avocado for Heart) एवोकाडो में Sitosterol होता है, जिसके निर

आर्निका (Arnica)

आर्निका (Arnica) आर्निका के विवरण( Description of Arnica in Hindi) आर्निका का जिक्र होते ही हेयर ऑयल(तेल) याद आता है। लेकिन, क्‍या आपको पता है कि आर्निका का इस्तेमाल सिर्फ तेल के रूप में ही नहीं बल्कि,एक औ‍षधि के रूप में भी किया जाता है। आयुर्वेद व होम्‍योपैथी में आर्निका को बहुत ही महत्त्वपूर्ण दर्जा दिया गया है, जिसका उपयोग कई रोगों के उपचार में किया जा सकता है।आर्निका का सेवन नहीं किया जाता, बल्कि बाहरी तौर पर इस्‍तेमाल में लाया जाता है। आर्निका में कई प्रकार के जीवाणु नाशक और औषधीय गुण पाये जाते हैं जो सूजन, जलन, एंटीसेप्टिक, गठिया का दर्द, नसों के दर्द, व अन्य परेशानियों को दूर करने में लाभकारी सिद्ध होता है। विभिन्न समस्याओं में आर्निका के औषधीय फायदे (Benefits of Arnica in Hindi) अर्थराइटिस (Arthritis):- आर्निका, गठिया यानि अर्थराइटिस के दर्द को दूर करने में मदद करता है। एक शोध के अनुसार गठिया या अर्थराइटिस के दर्द और जकड़न को दूर करने में आर्निका जैल बहुत ही फायदेमंद होता है। डेढ़ महीने तक दिन में दो बार आर्निका जैल उपयोग करने से गठिया जैसे रोगों में आराम मिलत

अश्वगंधा (Ashwagandha or Withania Somnifera)

अश्वगंधा (Ashwagandha or Withania Somnifera) अश्वगंधा का विवरण(Description of Arnika In Hindi):- जड़ी-बूटियों या पंसारी की दुकान में आसानी से मिलने वाली अश्वगंधा बड़े काम की चीज है। वैसे यह तो यह एक जंगली पौधा है, मगर इसके औषधीय गुण काफी सारे हैं। आयुर्वेद और यूनानी मेडीसीन में अश्वगंधा को विशेष स्थान प्राप्त है। आमतौर पर अश्वगंधा को यौन शक्ति बढ़ाने की सबसे कारगर दवा के रुप में जाना जाता है। मगर आयुर्वेद में इसका उपयोग कई तरह की बिमारियों के इलाज में किया जाता है। अश्वगंधा की कच्चे जड़ से अश्व यानि घोड़े के समान गंध आती है, इसलिए इसका नाम अश्वगंधा रखा गया है। इसे असगंध बराहकर्णी, आसंघ, आदि नामों से भी जाना जाता है। अंग्रेजी में इसे विंटर चेरी (Winter Cherry) कहते हैं। अश्वगंधा वैसे तो यह पूरे भारत में पाया जाता है, मगर पश्चिमी मध्य-प्रदेश के मंदसौर जिले तथा नागौर (राजस्थान) में पायी जाने वाली अश्वगंधा सबसे गुणकारी होती है। अश्वगंधा के पौधे के जड़ और बीज का इस्तेमाल आयुर्वेदिक दवाओं के रुप में किया जाता है। आयुर्वेदिक और यूनानी मेडिसीन में इसे अश्वगंधा को “Indian Ginseng

अल्फला या अल्फाल्फा (Alfalfa)

अल्फला या अल्फाल्फा (Alfalfa) अल्फला का विवरण (Description of Alfala in Hindi):- अल्फला को अल्फाल्फा, अल्फा-अल्फा, रिजका व अन्य नामों से भी जाना जाता है। इसकी जड़ें जमीन में बीस से तीस फीट नीचे तक होती हैं, क्योंकि यहां उन्हें वे खनिज लवण प्राप्त होते हैं, जो धरती की सतह नहीं मिल पाते। आयुर्वेद और होम्योपैथी में अल्फला (अल्फाल्फा) का प्रयोग टॉनिक के रूप में किया जाता है। बीमारी से ठीक होने के बाद या प्रसव के बाद कमजोरी को दूर करने के लिए अल्फला का इस्तेमाल किया जाता है। अल्फाल्फा टॉनिक, लिवर को संतुलित कर यूरिन से जुड़ी समस्याओं को दूर करता है और यूरिन से यूरिया को हटाता है। इसके अतिरिक्त अल्फला का सेवन करने से भूख ना लगने की समस्या भी दूर हो जाती है। अल्फला (अल्फाल्फा) में प्रोटीन, कैल्शियम, पोटेशियम, कैरोटीन, आयरन, जिंक, विटामिन B, विटामिन C, विटामिन E तथा विटामिन K अधिक मात्रा में पाया जाता है, जो गुर्दे की समस्या, अर्थराइटिस, यूरीन संबंधी समस्या, कोलेस्ट्रॉल व अन्य समस्याओं में लाभदायक सिद्ध होती है। निम्न समस्याओं में फायदेमंद है अल्फला (Health benefits of Alfalfa Her

अजवाइन (Ajwain in Hindi)

अजवाइन (Ajwain) अजवाइन के ऊपयोग और विवरण(Use and Description of Ajwain):- भारतीय खानपान में अजवाइन का प्रयोग सदियों से होता आया है। आयुर्वेद के अनुसार अजवाइन पाचन को दुरुस्त रखती है। यह कफ, पेट तथा छाती के दर्द और कृमि रोग में फायदेमंद होती है। साथ ही हिचकी, जी मचलाना, डकार, बदहजमी, मूत्र का रुकना और पथरी आदि बीमारी में भी लाभप्रद होती है। अजवाइन का पौधा आमतौर पर पूरे भारत में पाया जाता है, लेकिन पश्चिम बंगाल, दक्षिणी प्रदेश और पंजाब में अधिकता से पैदा होता है। अजवाइन के पौधे दो-तीन फुट ऊंचे और पत्ते छोटे आकार में कुछ कंटीले होते हैं। डालियों पर सफेद फूल गुच्छे के रूप में लगते हैं, जो पककर एवं सूख जाने पर अजवाइन के दानों में परिवर्तित हो जाते हैं। ये दाने ही हमारे घरों में मसाले के रूप में और औषधियों में उपयोग किए जाते हैं। रंग : अजवाइन का रंग भूरा- काला मिला हुआ होता है। स्वाद : इसका स्वाद तेज और चरपरा होता है। स्वरूप : अजवाइन एक प्रकार का बीज है जो अजमोद के समान होता है। स्वभाव : यह गर्म व खुष्क प्रकृति की होती है। अजवाइन की रासायनिक संरचना में आद्रता (नमी) 7.4

गुस्से पर काबू कैसे करें ( HOW TO CONTROL ANGER)

गुस्से पर काबू कैसे करें ( HOW TO CONTROL ANGER) गुस्से पर काबू कैसे करें :-पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा लोग बीमारियों से ज्यादा अपने गुस्से से परेशान है. और यदि आप भी यदि शार्ट टेम्पर है या फिर आपको बहुत जल्दी गुस्सा आ जाताहै तो आप को भी इलाज की जरूरत है है ये बहुत ही महवत्पूर्ण है आपके सुखी जीवन के लिए. कई लोग ऐसे होते है जो गुस्से में अपना आपा खो देतेहै और गुस्से में कुछ भी कर देते है. और गुस्सा होने पर व्यक्ति को कोई भी बात समझते है तो उसे कोई भी बात ठीक से समझ नहीं आती है. बीमारी को ठीक करने से पहले उसके बारे जानना बहुत जरूरी है तो इसी तरह ये जानना भी जरूरी है की गुस्सा क्या है? और गुस्से पर काबू कैसे करें ? क्रोध “एक सामान्य और ज्यादातर स्वास्थ्यप्रद और मानव के शरीर के मन में उत्पन्न भावना” की तरह गुस्से को मान सकते है और गुस्से से उबार के बाद यदि आप इसे भुला पाते हैं तो यह ठीक है. हालाँकि जब हम anger को control नहीं कर पाते है तो जीवन के हर पहलू की समस्या को दावत दे देते हैं चाहे वो Physically हो, Mentally हो, Emotionally हो या फिर सामाजिक. गुस्से के कारण हमें कुछ भी सम

आँवला (Amla in Hindi)

आँवला (Amla) Amla आँवला के विवरण:-आँवला (Indian Gooseberry) का वैज्ञानिक नाम Phyllanthus Emblica और Emblica officials है। इसका पेड़ छोटे से मध्यम ऊंचाई का होता है जो लंबाई में 8 से 18 मीटर तक होता है। इसके फूल और फल दोनों ही हल्के हरे और पीलापन (Greenish-Yellow) लिए हुए होते हैं। बसंत के मौसम में आँवला पूरी तरह पकता है। इसका स्वाद थोड़ा खट्टा और कसैला होता है जिसमें फाइबर प्रचुर मात्रा में होता है। पुराने समय से ही आँवले का प्रयोग अचार तथा मुरब्बा बनाने में होता आया है। इसमें उच्च मात्रा में असोर्बिक एसिड (विटामिन सी) होता है। इसके साथ ही Punicafolin, Phyllane Mbliinin A, Ellagic Acid भी पाये जाते हैं। आयुर्वेदिक दवाइयों में भी वर्षों से आँवले का प्रयोग किया जाता रहा है। आँवला के फायदे:- 1. आँवला (Amla) खाने से हाई कोलेस्ट्रॉल नियंत्रित होता है। इसमें मौजूद विटामिन सी से कोलेस्ट्रॉल की मात्रा घटती है। 2. आँवला का प्रयोग शुगर रोगियों के लिए भी लाभकारी है। यह रक्त में शर्करा की मात्रा को नियंत्रित रखता है। जिससे शुगर धीरे धीरे कम होती है। 3. अग्नाशय में दर्द होने या स

अपराजिता (Aprajita in Hindi)

अपराजिता (Aprajita) अपराजिता के गुण धर्म और उपयोग:- वैसे तो गुण  धर्म की दृष्टि से स्वेत और नीली दोनों कोयल प्राय: समान ही हैं दोनों शीत वीर्य  प्रधान तथा दोनों का स्वाद कडवा  होता है दोनों में स्निग्धता  हैकिन्तु तिक्त और कषायरस की प्रधानता होने से उनमे लघुता और रुक्षता भी देखी  जाती है वैसे नीली अपराजिता की अपेक्षा सफ़ेद अपराजिता विशेष गुणकारी और प्रभावशाली होती है  यह बहुवर्षीय जीवी  बनस्पति होती है यह एक बेल है जिसमें पीले रंग के फूल लगते हैं इसके फूल का आकार गाय के कानों की तरह होता है इसलिए इसेगौकर्णी भी कहते हैं जंगल में सामान्य रूप से प्राप्त हो जाती है जिसकी फूलो  से बीजों को निकालकर अवलेह बना दिया जाता है  तो यह पेचिश को मात्र 3 दिनों में ठीक कर देती है इसका विशेष गुण है कि यह शराब की मात्रा ज्यादा लेने से लीवर बढ़ गया हो और लीवर में सूजन आ गई हो तो एक-एक चम्मच 7 दिन लेने से लीवर की सूजन पूरी तरह समाप्त हो जाती है और उससे भी बड़ी बात यह है कि बढ़ा हुआ लीवर सिकु ड़कर वापिस  सही स्थिति में आ जाता है इसके पत्तों को पीसकर मूत्र नली के ऊपर लगाने से रुका हुआ पेशा

अपामार्ग (APAMARG IN HINDI)

अपामार्ग (APAMARG IN HINDI) अपामार्ग  (Apamarg) चिरचिटा स्थानीय लोगों में बहुत प्रसिद्ध है इसको  सभी लोग चिरचिटा के नाम से ही जानते हैं  इसे हाथ से छूने पर कांटे  लग जाते हैं जिसके कारण इसका नाम चिरचिटा पड़ा इसे अपामार्ग भी कहते हैं यह दो प्रकार की होती है एक अपामार्ग का पौधा लाल रंग का होता है जिसकी डंडियां कुछ  लाल के   रंग की होती है इसी कोलाल अपामार्ग कहते हैं दूसरी प्रकार का अपामार्ग सफेद रंग का होता है इसमें सफेद फूल आते हैं जिसके कारण उसका नाम सफेद अपामार्ग  पड़ गया इसकी  की जड़ की भस्म बनाकर दूध के साथ पति पत्नी दोनों पीले तो इससे संतान लाभ प्राप्त होता है दूसरा प्रयोग है चिरचिटा के दानों को साफ करके  दूध में डालकर इसकी खीर बना ली जाए और जब  खीर  अच्छी तरह पक कर तैयार हो जाए तब उस खीर  को खाने से कई दिनों तक भूख नहीं लगती जंगलों में संत महात्मा जब कोई साधना करना चाहते हैं तब वह इस प्रकार की खीर बनाकर खा लेते हैं उसके बाद 10- 12 दिनों तक आराम से साधना करते रहते हैं जिससे कि उन्हें मल मूत्र त्याग नहीं करना पड़ता |दूसरी प्रकार का पौधा जो सफेद रंग का पाया जाता है जिस मे

हींग (Asafoetida in Hindi)

हींग (Asafoetid a) चलिए जानते है कुछ   हींग के बारे में :- हींग हर घर में पाई जाती है। यह न केवल भोजन को स्वादिष्ट बनाती है बल्कि सुपाच्य  भी बनाती है। वैसे कई लोग हींग को केवल रसोईघर का मसाला समझते हैं और इसके औषधीय महत्त्व  से परिचित नहीं हैं। बाराहमासी (Perennial) हींग की खेती ज्यादातर  काबुल और खुरासान, ईरान, अफगानिस्तान, तुर्केमिस्तान, बलूचिस्तान आदि देशों के पर्वतीय क्षेत्रों में होती है। भारत के कश्मीर और पंजाब राज्य के कुछ हिस्सों में भी हींग की खेती की जाती है। हींग के पत्तों और छाल में हल्की सी चोट देने से भी दूधनुमा पदार्थ निकलता है, जिसे पेड़ों की छाल या पत्तों पर सुखा लिख जाता है। सूखने के बाद हींग (Hing) तैयार होती है। सौंफ प्रजाति के इस पौधे की ऊंचाई 1 से 1.5 मी तक होती है। इस पौधे के भूमिगत प्रकंदों व ऊपरी जड़ों से निकलने वाले शुष्क वानस्पतिक दूध को हींग के रूप में प्रयोग किया जाता है। कच्ची हींग का स्वाद लहसुन से मिलता जुलता होता है लेकिन इसे व्यंजन में पकाने के बाद यह खाने का स्वाद बढ़ा देती है। हींग में सल्फर (Sulphur) अधिक मात्रा में होने के कारण इसकी गं

अंकोल ( Ankol)

Ankol Ankol अंकोल पूरे भारत में यह पेड  बहुत कम देखने को मिलता है सबसे ज्यादा यह पेड अरावली और मध्य प्रदेश की पहाड़ियों में देखने को मिलता है इसकी उचाई पच्चीस फुट से लेकर चालीस फुट तक की होती है इसकी शाखाओं का रंग कुछ सफेद सा होता है इस पेड की छाल तन और जड़ से विष निवारक औषधि बनायीं जाती है यदि इसकी जड़ को पानी  में घिसकर सर्पदंश व्यक्ति के मुंह में डाल दी  जाय तो उसका जहर तुरंत समाप्त  हो जाता है इसकी एक और विशेषता यह है कि यदि इसकी जड़ को नीबू के रस के साथ घिसकर वह घोल आधा चम्म्च सवेरे और आधा चम्म्च शाम को  भोजन से  दो घंटे पूर्व दिया जाए तो मात्र तीन दिनों में ही भयंकर सेभयंकर दमा ठीक हो जाता है दमे को दूर करने  मिटाने  में इसके सामान और कोई औषधि कारगर नहीं है । *इसके जड़ की छाल का चूर्ण एक माशा काली मिर्च के साथ लेने से बवासीर खत्म हो जाता है । *इसके जड़ की छाल ,जायफल ,जावित्री , लौंग  -प्रत्येक का पांच पांच रत्ती लेकर ,चूर्ण करके नित्य लिया जाय तो किसी प्रकार का कोढ़ एक सप्ताह में ही समाप्त होने लगता है । अंकोल का तेल तो चमत्कारिक प्रभाव *दिखाने  में सक्ष्म है इसके तेल  क

बादाम (Almond)

Almond Almond  बादाम के विवरण (Description Of Almond ):- बादाम   का वैज्ञानिक नाम Prunus Dulcis है। आयुर्वेद में इसे बुद्धि और नसों के लिए लाभकारी बताया गया है। एक औंस बादाम (28 ग्राम) में 160 कैलोरी होती है, यही कारण है कि इससे ऊर्जा मिलती है। बादाम में कार्बोहाइड्रेट बहुत कम होता इसलिए इसका सेवन शुगर वाले लोग भी कर सकते हैं। बादाम में एकल संतृप्त वसा (Monounsaturated Fat) और बहु असंतृप्त वसा (Polyunsaturated Fat) होती है। यह वसा शरीर के लिए लाभकारी होती है जो कोलेस्ट्रोल (Cholesterol) को भी कम करती है। बादाम में सोडियम नहीं होने से उच्च रक्तचाप वालों के लिए भी लाभकारी है। बादाम में पोटैशियम, विटामिन ई, आयरन, मैग्नीशियम, कैल्शियम और फॉस्फोरस भी होता है। बादाम के फायदे:- 1. बादाम (Almond) की गिरी को रात में पानी भिगोकर सुबह छिलका उतार कर खाना चाहिए। यह पढ़ने वाले बच्चों के लिए बहुत ही फायदेमंद होता हैं। 2. मधुमेह के रोगी भी बादाम का सेवन कर सकते हैं, यह शुगर लेवल को कंट्रोल करने में सहायता करता है। इस बात का ख़ास ध्यान रहे कि मधुमेह रोगी को रोजाना सिर्फ 3-4 बादाम ही खाने

बिज़नेस कैसे शुरू करें ( HOW TO START BUSINESS)

How to Start Business बिज़नेस कैसे शुरू करें:- किसी भी बिजनेस को शुरू करने से लेकर करोड़ों की कंपनी बनाने तक की यात्रा  बहुत ही अद्भुत होती है| बिजनेस को शुरू करने के लिए आपको योजना बनानी होती है, कड़ी मेहनत करनी होती है, मुसीबतों का सामना करना होता है, समस्याओं का हल निकालना होता है| जिससे आप अपने बिज़नेस में इतनी तेजी से सफलता की सीढियाँ चढ़ते है कि आपको स्वंय पर विश्वास नहीं होता|यहाँ पर बिजनेस शुरू करने के लिए कुछ महत्वपूर्ण तरीके बातये जा रहे है- स्टेप 1: - बिज़नेस प्लान लिखें Write your Business Plan यदि आप कोई भी बिजनेस करने जा रहे हैं उसके लिए सबसे पहले आप के पास एक प्लान होना चाहिए. हो सकता है अभी तक वह प्लान आपके दिमाग में ही चल रहा है परंतु जितना जल्दी हो सकता है उसे एक पेपर पर लिख लीजिए Business Plan  स्टेप 2:-   बिज़नेस स्थान चुनें Choose a Business Location Business Location किसी भी बिजनेस को शुरू करने के लिए एक अच्छे स्थान की जरूरत होती है, क्योंकि कोई भी बिजनेस, प्रोडक्ट या सर्विस तभी अच्छी चल पाती है जब वह एक अच्छे स्थान पर हो या कह सकते हैं

कमर दर्द समय रहते पा लें काबू (Lower Back Pain in Hindi)

Lower Back Pain कमर दर्द समय रहते पा लें काबू, जानें कितना खतरनाक है ये रोग :-  कमर दर्द की समस्या बीते कुछ दशकों में काफी ज्यादा बढ़ गई है. एक रिपोर्ट के मुताबिक, बैक पेन (कमर दर्द) सहने वाले लोगों की संख्या पिछले कुछ समय में 54 प्रतिशत तक बढ़ी है. यह आंकड़े बताते हैं कि देर होने से पहले ही इस समस्या पर काबू पाना कितना जरूरी है. दुनिया के जाने-माने Dr. निकोलाई अमोसोव कहते हैं कि अपने स्वास्थ्य की सुरक्षा खुद इंसान के हाथों में है. उनका व्यवस्थित दृष्टिकोण भविष्य में गंभीर समस्याओं से बचने में हमारी मदद कर सकता है. कमर दर्द की  समस्या को उन्होंने बेहद करीब से समझा है और वह इसे कुछ खास एक्सरसाइज से दूर करने की सलाह देते डॉक्टर निकोलाई ने खुद ये एक्सरसाइज कई-कई बार की हैं. एक्सरसाइज के सभी सेट करने में सिर्फ 30 मिनट लगते हैं. ये एक्सरसाइज करते हुए इंसान का पल्स रेट 110-120 बीट प्रति मिनट रहता है, जो कि एक एरोबिक ट्रेनिंग के बराबर है. आप 4-5 के साथ इसकी शुरुआत कर सकते हैं. हर एक्सरसाइज के 10, 15 या 20 रैप करने होंगे. 1. कुर्सी के साथ एक्सरसाइज यह एक्सरसाइज आप किसी कुर्सी य

अवसाद (Depression in Hindi)

Depression  प्रमुख अवसाद कई प्रकार के लक्षण पैदा कर सकता है। कुछ आपके मनोदशा को प्रभावित करते हैं , और अन्य आपके शरीर को प्रभावित करते हैं। लक्षण भी जारी हो सकते हैं , या आते हैं और जाते हैं।अवसाद के लक्षणों को पुरुषों , महिलाओं और बच्चों में अलग-अलग तरीके से अनुभव किया जा सकता है। कमर दर्द पर समय रहते पा लें काबू, जानें कितना खतरनाक है ये रोग

चिंता क्या है (what is anxiety in Hindi )

चिंता क्या है (what is anxiety) What is Anxiety  चिंता (Anxiety) भय और घबराहट यह  एक लगातार होने वाली मन की  भावना है। चिंता एक तरह से मानसिक बीमारियों के समूह के रूप में आती है इससे ग्रसित लोग आम इंसानो की तुलना मे  कुछ ज्यादा ही चिंता और डरा हुआ महसूस करने लगते है इस रोग में अक्सर इंसान अकेला रहना पसंद करते हैं वह अपनी तकलीफ किसी से सांझा भी नहीं करते| शर्म या डर के कारन वह किसिसे कुछ कहता भी नहीं| उसे हर वक़्त एक अंजान भय सताता रहता है कि कुछ  होनेवाला है या उसे कुछ हो जायेगा| इस समस्या से ग्रसित लोगो  मे अचानक से  धड़कने तेज धड़कने लगती है उसे ऐसा महसूस होता है जैसे उसकि साँसे रुकने वाली है|जीससे घबराहट और भी तेज होने लगती है और इससे वह खुदको असुरक्षित महसूस करने लगता है इस कारन वह खुद के लिए एक सुरक्षित स्थान की तलाश करने लगता है हलाकि इस परिस्थिति मे हर वह इंसान जो इस रोग से ग्रसित है उसे अपना घर ही सबसे सुरक्षित स्थान महसूस होता है जबकि यह भी एक सच्चाई है कि अपने घर जैसी शांति आपको कहीं और नहीं मिल सकती| अक्सर आपको जीवन मे ऐसी तनावपूर्ण घटनाओं और जीवन में होने वाली  परिवर

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गुस्से पर काबू कैसे करें ( HOW TO CONTROL ANGER)

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